Saturday 15 March 2014

शायद मैं खो गया हूँ ...



मंजिल की तलाश में,
कामयाबी कि आस में,
कुछ करने के विश्वास में,
फिर अपनों के साथ में,
अकेला अब हो गया हूँ,
शायद मैं खो गया हूँ ...
बुजुर्गों की कहानी में,
राजा और रानी में,
इस बहती हुयी रवानी में,
जाग चुका हूँ पहले ही,
थोडा अब सो गया हूँ,
शायद मै खो गया हूँ…

लुटेरों की भीड़ में,
पुरखों कि नीड़ में,
उलझी सी तकदीर में,
अकेला मै खड़ा हूँ पहले,
ठगा अब रह गया हू,
शायद मै खो गया हूँ…

बोझिल मलीन राहों में,
दुखती रगों की आहों में,
उसकी खूबसूरत बाँहों में,
फिर दोस्तों की पनाहो में,
देर तक आकर रो गया हूँ,
शायद मै खो गया हूँ

Ajay singh
9792363733

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