Monday 21 October 2013

मेरे देश की धरती सोना उगले.... उन्नाव.< बाँदा< गोंडा

मित्रो  बचपन की पाठशाला  में स्वतंत्रता दिवस समारोह में मैंने एक गीत गाया था, यकीनन आपने भी गाया होगा, सभी  गाते है क्योकि सालो से  सभी भारतीय गाते आ रहे है 

                       "मेंरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती"

भद्रजनों ,……. ……  बड़ी ही प्रफुल्लित मुद्रा में  आपको बताते हुए मुझे बड़ा  हर्ष हो रहा है की इस गीत की सार्थकता आखिर उन्नाव में  सिद्ध हो ही रही  है जब एक संत को सपना आया और बड़ी ही प्रचुर  मात्रा में आया, क्योकि हज़ार टन सोना का सपना था कोई मामूली बात थोड़ी है. अब ये सबको पता है जबसे बाबा सपने से जागे उन्होंने किसी को नहीं नहीं सोने दिया।  नेता, मंत्री, सरकार,  पुरातत्व विभाग इस तरह से हरकत में आया की सारा देश आज खाली सोना सोना कर रहा है। सरकार  मन ही मन  मुस्कुरा रही है  और ईस्वर से प्रार्थना कर रही है कि काश ये सपना सच हो जाता और सच होने के बाद ऐसे ही कई बाबा सपने देखते और फिर चारो तरफ सोना ही सोना निकलता  तो शायद देश की हालत सुधर जाती।और फिर ये भी हो सकता है की सपनों  के आधार पर ही सही हम फिर से  सोने की चिड़िया बन जाते। कल्पना करके मन गदगद हो उठता है.  फिर चाहे सन्तो को सपना देखने की आज़ादी  के लिए एक कानून ही बनाना पड़ता, जरुरत  पड़ती  तो हम सन्तो के लिए अपनी पार्टी का एजेंडा ही बदल देते  ,चाहे समाजवादी लोग लाख संसद का बायकाट करते,  विपक्ष हंगामा करता, फिर भी कानून बनता , आखिर देशहित की बात है भाई.  और फिर यकीन मानिये ऐसी अवस्था आने पर हम जैसे लोग अपना सब कुछ दांव पर लगाकर ऐसे सन्तो की सेवा में समर्पित हो जाते। क्योकि रास्ट्रवाद तो हमारी भी धमनियों में हिलोरे मारता है जनाब, और हम यह भी  जानते है की हमारे वेद   पुराण भी  सन्तो की सेवा का लोहा मानते है. यहाँ पर दोहरा पुण्य अर्जित करके मै  भागीरथ और भागीरथी की कथा की तरह अपने पुरखो को भी धन्य करता।

कल्पना करिये, आज सरकार  का कोष खाली है आर्थिक तौर हम लगातार टूटते जा रहे है, डालर मन ही मन मुस्कुरा रहा है सत्ता पक्ष के  सभी सीपेसालर आर्थिक तौर पर तंग है ऐसे में किसी बाबा का  हज़ार टन सोने का सपना किसी सुखद अनुभूति से कम थोड़ी न है. देश के सबसे बड़े अर्थशास्त्री एक दसक के बाद भी जब अर्थब्यवस्था को पटरी पर नहीं ल पाये और उन्हें बाबा के सपने के बारे में जब पता चला तो आज उनसे चुप न रहा गया और वो मुस्कुराते हुये बोले 

                    " जब घर में पड़ा है  सोना फिर काहे का रोना "

फ़ौरन महल खुदवाओ और अगर कही ये सपना सच हो जाता है तो और संतो को सपना देखने के लिये प्रेरित करो,  हो सके तो यह जिम्मेदारी  दिगविजय सिंह को दी  जाय. ऐसी अवस्था में वह हमारे लिये सपनो का सौदागर साबित हो सकते है. साथ ही साथ सर्वेक्षण संस्थाओ को युद्ध स्तर पर ऐतिहासिक प्रमाणिकता सुनिस्चित करने का आदेश दिया जाय. सुनने में आ रहा है की बिना सपना देखे ही बाँदा में कोई ढाई हज़ार टन सोना होने का दावा कर रहा है. ख़ुफ़िया विभाग को आपात स्तर पर आदेसित किया  जाय और वह अतिसीघ्र सुनिश्चित करे कि बाँदा का मामला आगे करके विपक्ष के लोग कही हमारा ध्यान तो नहीं बटा रहे है.  

एक बात  कहू मित्रों  मै गोंडा का रहने हूँ  और देश के इतिहास में गोंडा ने स्वर्णिम अक्षरों में अपना इतिहास दर्ज कराया है. शेर शाह सूरी के समकालिक जनपद की खोरहसा रियासत को एक प्राकृतिक आपदा झेलनी पड़ी थी जिसमे  राजमहल के साथ एक बड़ा भू-भाग जमीन में धंस गया राजा के महल में उपस्थित १५० लोग डूब कर मर गये. राज्य की संपत्ति भी राजमहल के साथ ही जमीन में दब गयी. अब कमी है तो बस किसी सन्त के सपने की. अब अगर किसी संत को एक सपना आ जाय तो माननीय भारत सरकार को मै यकीन दिलाता हूँ की पांच हज़ार टन सोना कही नहीं गया है.२०१४ का  चुनावी घोंसणा पत्र तो अकेले  गोंडा ही प्रिंट करा सकता है.


अजय सिंह 
वीरपुर बिसेन गोंडा 
9792363733   
--