एक दरिया है कहीं
मुझमें,
जो माटी के लिए,
जिस्म क्या
यह जान क्या
संसार को भी छोड़ दे,
सरफरोशी के लिए
सबका गुरूर तोड़ दे,
आंधी को पथ से मोड़ दे ,
और जरूरत यदि पड़े
इतिहास फिर से जोड़ दे ,
ऐ वतन तेरे लिए
खुद को खुदा को छोड़ दे
एक दरिया है कहीं .........................
Ajay singh